तुलसीदास जी का जीवन परिचय

तुलसीदास जी का जीवन परिचय


तुलसीदास जी का जीवन परिचय


  • गोस्वामी तुलसी दास जी का जन्म 1511 ईस्वी में कासगंज, उत्तर प्रदेश में एक सर्यूपारिय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। लेकिन कुछ विद्वान मानते हैं की तुलसी दास जी का जन्म बांदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था


  • तुलसीदास जी के पिता का नाम आत्मा राम शुक्ल दुबे एवं माता जी का नाम हुलसी दुबे था तुलसीदास जी की माता एक आध्यात्मिक महिला एवं गृहणी थीं।तुलसी दास जन्म के समय 12 माह तक अपनी मां के गर्भ में थे। जब तुलसी दास जी का जन्म हुआ तो वह काफी हष्ट-पुष्ट बालक के रूप में दिखाई दे रहे थे एवं तुलसी दास जी के मुंह में दांत थे।अपने जन्म के साथ ही तुलसी दास ने राम नाम लेना शुरू कर दिया था। जिस कारण तुलसी दास जी के बचपन का नाम “रामबोला पड़ गया। जन्म की यह सब घटनाएं देख उनके आस पास के रहने वाले लोग बहुत ही आश्चर्य चकित थे


तुलसी दास जी की प्रारंभिक शिक्षा उनके गुरु, नर सिंह दास जी के आश्रम में हुई थी। जब तुलसी दास जी 7 वर्ष के थे, उनके माता-पिता ने उन्हें श्री अनन्तानन्द जी के प्रिय शिष्य, श्रीनरहर्यानन्द जी (नरहरि बाबा) के आश्रम भेज दिया था। नर सिंह बाबा जी के आश्रम में रहते हुए,
तुलसीदास जी ने 14 से 15 साल की आयु तक सनातन धर्म, संस्कृत, व्याकरण, हिन्दू साहित्य, वेद दर्शन, छः वेदांग, ज्योतिष शास्त्र, आदि की शिक्षा प्राप्त की। रामबोला के गुरु, नर सिंह दास ने ही उनका नाम गोस्वामी तुलसीदास रखा था।

तुलसीदास जी का विवाह 1526 ईसवी (विक्रम संवत 1583) में बुद्धिमती नामक लड़की से हुआ था। लोग बुद्धिमती को रत्नावली के नाम से भी जानते थे। विवाह के बाद, तुलसीदास जी और उनकी पत्नी राजापुर नामक स्थान में रहते थे। उनके और रत्नावली के बीच एक पुत्र था, जिसका नाम तारक था। लेकिन किसी कारण से, तारक की मृत्यु शयन अवस्था में ही हो गई थी।

पुत्र की मृत्यु के बाद तुलसीदास जी का अपनी पत्नी के प्रति लगाव और भी बढ़ गया था। वे किसी भी स्थिति में अपनी पत्नी से दूर होने को बर्दाश्त नहीं कर सकते थे।

दुःख से पीड़ित तुलसीदास जी की पत्नी एक दिन बिना बताए अपने मायके चली गई। जब तुलसीदास जी को यह पता चला, तो वे रात में चुपके से अपनी पत्नी से मिलने ससुराल पहुंचे।

इस स्थिति को देखकर रत्नावली ने बहुत शर्मसार होते हुए कहा,

“लाज न अवात आपको दौरे आयो साथ ।।

धिक - धिक ऐसे प्रेम को कहा काहू मै नाथ

अस्थि च्रम देही मम तामे ऐसी प्रीति । ।

होती जो प्रभु राम में होती न तव भव भीती । ।

अर्थात

ये मेरा शरीर मांस और हड्डियों से बना है। जितना मोह आप मेरे साथ रख रहे हैं, उतना ध्यान भगवान राम पर देंगे तो आप संसार की मोह माया को छोड़, अमरता और शाश्वत आनंद प्राप्त करेंगे।”

उनकी पत्नी के वचन ने तुलसीदास जी को हृदयघात करते हुए एक तीर की तरह चुभा, और उन्होंने घर को त्यागने का निर्णय लिया। इसके बाद तुलसीदास जी ने अपने घर को छोड़कर तपस्वी बनने का संकल्प किया। उन्होंने तपस्वी बनकर विभिन्न तीर्थ स्थानों का भ्रमण किया


तुलसीदास (Tulsidas) जी एक बैरागी साधु थे, हिंदी साहित्य के महान कवि, साहित्यकार, और दार्शनिक। उन्होंने अपने जीवन काल में राम भक्ति में लीन रहकर अनेक ग्रंथों की रचनाएं की। उनका सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ "रामचरितमानस" है, जिसे एक महाकाव्य के रूप में भी जाना जाता है। श्री रामचरितमानस विश्व के सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वां स्थान प्राप्त है।

तुलसीदास जी ने इसके अलावा वाल्मीकि ऋषि, गीतावली, दोहावली, संस्कृत रामायण, आदि काव्यों की रचना भी की। वे भगवान राम के सच्चे भक्त और अनुयायी थे।

हनुमान जी से मिलाप


तुलसीदास जी की रचनाओं में हनुमान जी से मिलाप का उल्लेख है। तुलसीदास जी ने अपनी रचना में बताया की वे वैराग्य धारण कर रहे थे और वाराणसी में रह रहे थे। एक दिन, घाट पर उनकी मुलाकात एक साधु से हुई, जो राम नाम का जाप करते हुए गंगा में स्नान के लिए जा रहे थे। तुलसीदास जी और साधु टकरा गए और तुलसीदास जी ने पहचान लिया कि यह हनुमान जी हैं।
तुलसीदास जी ने उनसे मिलकर कहा कि वह उन्हें छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। साधु ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उसके बाद हनुमान जी ने तुलसीदास जी को चित्रकूट जाने का मार्ग बताया, जहां उन्हें भगवान राम के दर्शन होंगे।

इतिहासकारों के अनुसार, तुलसीदास जी अपने जीवन के अंतिम समय में वाराणसी में रह रहे थे। उनके आखिरी क्षणों में भी उनकी दिनचर्या पूरी तरह से रामभक्ति में लीन रहती थी। तुलसीदास जी ने वाराणसी में 112 वर्ष की आयु में, 1623 ईस्वी में, समाधि लेकर अपने शरीर को त्याग दिया।

हालांकि, कुछ विद्वान विचार करते हैं कि तुलसीदास जी की मृत्यु 1680 ईस्वी में श्रावण कृष्ण तृतीया शनिवार को राम नाम का जाप करते हुए हुई थी।

इस पर कुछ विद्वानो द्वारा दोहा प्रचलित है

सवंत 1680 असि गंग के तीर

श्रावण श्यामा तीज सनी तुलसी त्यजों शरीर



  • गोस्वामी तुलसीदास


  • बचपन का नाम: रामबोला

  • उपनाम: गोस्वामी, अभिनववाल्मीकि, इत्यादि

  • जन्मतिथि: 1511 ई० (सम्वत्- 1568 वि०)

  • जन्म स्थान :बांदा जिले के राजापुर गाँव

  • उम्र: मृत्यु के समय 112 वर्ष

  • जन्म स्थान: सोरों शूकरक्षेत्र, कासगंज, उत्तर प्रदेश, भारत

  • मृत्यु: 1623 ई० (संवत 1680 वि०)

  • मृत्यु का स्थान: वाराणसी, उत्तर प्रदेश

  • गुरु / शिक्षक: नरसिंहदास

  • रचनायें: रामचरितमानस, विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली



तुलसीदास जी का परिवार

  • पिता का नाम: आत्माराम शुक्ल दुबे

  • माँ का नाम : हुलसी दुबे

  • पत्नी का नाम : बुद्धिमती (रत्नावली)

  • बच्चों के नाम: बेटा – तारक